Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार-जनरल से पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट में सीधे अपील करने के लिए प्रमाण-पत्र जारी करने के संबंध में क्या नियम हैं? जस्टिस शील नागू और जस्टिस डीडी बंसल की खंडपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन को एक सप्ताह की मोहलत दी है। मामला सिविल जज और एडीजे परीक्षा की आंसरशीट सार्वजनिक करने से जुड़ा है। एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस ने इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है।
याचिका में हाईकोर्ट से मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश करने प्रमाण प्रदान करें। दरअसल हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें आरटीआई के तहत उक्त परीक्षाओं की आंसरशीट्स सार्वजनिक करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए मांग खारिज कर दी थी कि यदि आरटीआई के तहत आंसरशीट दी जाती हैं तो इसके दुरूपयोग होने की संभावना है।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसमें निजता का हनन होगा और कई जटिलताएं उत्पन्न होंगी। अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह एवं रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर निर्णय में विधि के कुछ सारभूत प्रश्नों के जवाब नहीं दिए। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 134-ए के तहत विधि के सारभूत प्रश्नों के सुप्रीम कोर्ट से निराकरण के लिए हाईकोर्ट द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने का प्रावधान है। इसलिए याचिका दायर की गई है।
नोटिस में यह विधिक सवाल
क्या संसद या विधानसभा उत्तर पुस्तिकाएं मांगे तो कोर्ट इनकार कर सकती है? क्या उत्तर पुस्तिकाएं संबंधित उम्मीदवार की व्यक्तिगत जानकारी है? जब अभ्यर्थी को उत्तर-पुस्तिकाएं दे सकते हैं तो अन्रू को क्यों नहीं? उत्तर पुस्तिकाएं हस्तलिखित होती हैं, इसमें क्षति कैसे संभव है? सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जजों की संपत्ति तक की जानकारी आरटीआई में देने का प्रावधान है?